मृदाछादित फसल- ऐसी फसल जो भूमि को ढँककर रखती है तथा भूमि को क्षरण से बचाती है उन्हें मृदाछादित फसल कहते है। ऐसी फसल की वानस्पतिक वृद्धि तेजी से होती है और मिट्टी के ऊपर एक आवरण बनाती है।
इसकी जड़े मिट्टी में जाल की तरह फैल जाती है जिससे वर्षा के कारण मिट्टी का कटाव कम होता है। जैसे- उरद, मूँगफली, शकरकंद लोबिया आदि।
हरी खाद -ढैंचा, सनई आदि फसलों का प्रयोग हरी खाद के रूप में किया जाता है। मुख्य फसल बोने से कुछ महिने पहले ये फसलें बो दी जाती है एवं 45 से 50 दिनों के पश्चात् खड़ी फसल को खेत में जुताई के साथ मिट्टी में मिला दिया जाता है जिससे मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा जलधारण क्षमता बढ़ती है साथ ही नाइट्रोजन का स्थिरीकरण भी होता है। सनई से मिट्टी की अम्लीयता कम होती है।