मृदा सतह पर प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से डाला गया पादप अवशेष या अन्य पदार्थ मल्च के नाम से जाना जाता है। मल्च के रूप में प्रयुक्त होने वाले पदार्थ है - फसल अवशेष पत्तियाँ, घांस-भूसा, तना डंटल, प्लास्टिक फिल्म आदि। मल्चिंग करने से जलनिकाय को नियंत्रित कर सकते है। अत: स्पंदन को बढ़ा सकते है, वाष्पीकरण को कम कर सकते है, खरपतवार नियंत्रण कर सकते है, मृदा ताप को नियंत्रित कर सकते है आदि। मिट्टी को सूखा पुआल, पत्ता, अनुपयोगी जूट के बोरे, भूसी, घास-फूस या खरपतवार के पत्तों आदि से ढक कर रखने की क्रिया को पलवार(मल्चिंग) कहते हैं।

इसके निम्न लिखित लाभ है -